बिस्मिल्ला हिर रहमा नीर रहीम
शोक की रात - जागते रहे और इमाम हुसैन और उनके परिवार और साथियों पर ही अत्याचार पर मसायब (त्रासदियों) को सुने
4 रक्-अत नमाज़ 2-2 रक्-अत करके पढ़ें, जिसमे हर रक्-अत में एक बार अल-हम्द की सूरा और 50 बार सूरा क़ुल (सूरा इखलास) पढ़ें
तहज्जुद की नमाज़ पढ़ें और ज़्यारते इमाम हुसैन (अ:स) पढ़ें
अमाल शबे-आशूर
आशूर का दिन
1. भोजन और पानी से देर दोपहर तक दूर रहे (यह एक रोज़ा नहीं है, इसलिए इसे रोज़ा अर्थात उपवास की नियत से न रखें)
2. अपना सारा ध्यान इस बड़े दिन की कुर्बानी पर रखें और बेवजह की हंसी और किसी ही प्रकार की अनावश्यक चर्चाओं से दूर रहे
3. इस दिन जितनी बार हो सके मुहम्मद (स:अ:व:व) और आले मुहम्मद (अ:स) पर सलवात पढ़ें
4. जब अपने किसी मोमिन भाई से मिलें तो उन्हें इस प्रकार शोक प्रकट करें, " अल्लाह हमारे और आपके लिए जज़ा दे, हमारे हुसैन (अ:स) के दुःख के लिए" और यह फिर यह कहें, " अल्लाह हमें और आपको उन लोगों के साथ रखे जिन्होंने इमाम हुसैन (अ:स) की मदद की, और उनके निर्देशों का पालन किया, और हमें उनके प्रतिनिधी और उनके निर्देशितइमाम (इमाम मेहदी अ:स) के मानने वालों में रख़, और मुहम्मद (स:अ:व:व) और आले मुहम्मद (अ:स) पर सलवात भेजें"
5. सूरा इखलास पढ़ें - 1000 बार या फिर जितनी बार मुमकिन हो (यह कुरान की 112वीं सूरा है)
6. जितनी बार मुमकिन हो पढ़ें, " अल्लाहुमल-अ’न क़तालातल हुसैन व औलादिही व अस्हाबिही "
7. जितनी बार मुमकिन हो पढ़ें, " काश अगर मै आपके साथ होता, तो इस महान बलिदान में आपका साथ देता "या लै'तनी कुन्तु मा'अकुम फा'फूज़ा फौज़ान अज़ीमा