Saturday, August 29, 2020

अमाले आशूर (हिन्दी में)

बिस्मिल्ला हिर रहमा नीर रहीम

शोक की रात - जागते रहे और इमाम हुसैन और उनके परिवार और साथियों पर ही अत्याचार पर मसायब (त्रासदियों) को सुने

4 रक्-अत नमाज़ 2-2 रक्-अत करके पढ़ेंजिसमे हर रक्-अत में एक बार अल-हम्द की सूरा और 50 बार सूरा क़ुल (सूरा इखलास) पढ़ें    

तहज्जुद की नमाज़ पढ़ें और ज़्यारते इमाम हुसैन (अ:स) पढ़ें

अमाल शबे-आशूर

1. किताब मिस्बाह में हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ:स) से मन्कूल है की जो कोई भी शबे आशूर में चार रकअत नमाज़ बा दो सलाम  यानी दो-दो रक्अत करके पढ़े, और हर रक्अत में अल्हम्द के बाद 50 मर्तबा सूरा कुल्हुवाल्लाहो अहद पढ़े तो उस के पचास बरस के आगे और पीछे किये गए गुनाह बख्शे जायेंगे!
2. दूसरी रिवायत में है की जो कोई शबे आशूर में चार रक्अत नमाज़ दो-दो रक्अत करके पढ़े जिसमे पहली रक्अत में सूरा अल्हम्द के बाद दस मर्तबा आयतल कुर्सी, दूसरी रक्अत में सुरे अल्हम्द के बाद दस बार क़ुल हुवाल्लाहो अहद, तीसरी रक्अत में सुरे अल्हम्द के बाद सुरे क़ुल अ'उज़ो बे रब्बिल फ़लक और चौथी रक्अत में सुरे अल्हम्द के बाद क़ुल अ उज़ो बेरब्बिन नास पढ़े!
3. नमाज़ ख़तम होने के बाद 100 मर्तबा क़ुल हुवाल्लाहो अहद पढ़े तो उस को जन्नत में हज़ार हज़ार कस्र दिए जायेंगे! 
4. और बसनद मोतबर इमाम जाफर सादिक़ (अ:स) से मन्कूल है की जो कोई भी शबे आशूर में उन हज़रत की क़ब्र की पास से  से ज़्यारत करेगा वोह कयामत के दिन ज़ुमर-ए-शोहदाए कर्बला में बा-हैय्येते खून आलूद मशहूर होगा! और जो शख्स शबे आशूरा और रोज़े आशूरा में ज़्यारत करेगा, ऐसा होगा की वोह रु-बरु हज़रत के शहीद हुआ!

आशूर का दिन

1. भोजन और पानी से देर दोपहर तक दूर रहे (यह एक रोज़ा नहीं हैइसलिए इसे रोज़ा अर्थात उपवास की नियत से न रखें)  

2. अपना सारा ध्यान इस बड़े दिन की कुर्बानी पर रखें और बेवजह की हंसी और किसी ही प्रकार की अनावश्यक चर्चाओं से दूर रहे

3. इस दिन जितनी बार हो सके मुहम्मद (स:अ:व:व) और आले मुहम्मद (अ:स) पर सलवात पढ़ें

4. जब अपने किसी मोमिन भाई से मिलें तो उन्हें इस प्रकार शोक प्रकट करें, " अल्लाह हमारे और आपके लिए जज़ा देहमारे हुसैन (अ:स) के दुःख के लिए" और यह फिर यह कहें, " अल्लाह हमें और आपको उन लोगों के साथ रखे जिन्होंने इमाम हुसैन (अ:स) की मदद कीऔर उनके निर्देशों का पालन कियाऔर हमें उनके प्रतिनिधी और उनके निर्देशितइमाम (इमाम मेहदी अ:स) के मानने वालों में रख़और मुहम्मद (स:अ:व:व) और आले मुहम्मद (अ:स) पर  सलवात भेजें"

5. सूरा इखलास पढ़ें 1000 बार या फिर जितनी बार मुमकिन हो (यह कुरान की 112वीं सूरा है)

6. जितनी बार मुमकिन हो पढ़ें, " अल्लाहुमल-अ क़तालातल हुसैन  औलादिही  अस्हाबिही "

7. जितनी बार मुमकिन हो पढ़ें, " काश अगर मै आपके साथ होतातो इस महान  बलिदान में आपका साथ देत "या लै'तनी कुन्तु मा'अकुम फा'फूज़ा फौज़ान अज़ीमा


इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ताज़िया दफ्न करने पर लगाई रोक.

 



शिया समुदाय के लिए बहुत ही दुख भरी ख़बर सामने आई है,

सुप्रीम कोर्ट के बाद आज  हाई कोर्ट ने ताज़िया दफ्न करने पर लगाई रोक,



क़ौम के उलेमा करेंगे मीटिंग उसके बाद क़ौम के लिए आदेश जारी होगा,

रिपोर्ट : We are Husaini (Husaini Path)

Friday, August 28, 2020

सुप्रीम कोर्ट ने आशूरा के जुलूस की इजाज़त देने से इन्कार किया, कहा कोरोना फैलने के लिए शिया समुदाय पर निशाना साधा जाएगा

 

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने पूरे देश में आशूरा का जुलूस निकालने के लिए अनुमित देने की याचिका को गुरुवार को ख़ारिज कर दिया।

अदालत ने कहा कि वह ऐसा आदेश नहीं देगी जो इतने लोगों के स्वास्थ्य को ख़तरे में डाल दे। उच्चतम न्यायालय ने याचिकाकर्ता को इलाहाबाद उच्च न्यायालय जाने के लिए कहा है। शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर आशूरा के जुलूस की इजाज़त दी गई तो इससे अराजकता हो सकती है और कोरोना वायरस को फैलाने के लिए शिया समुदाय को निशाना बनाया जाएगा। चीफ़ जस्टिस एस.ए. बोबडे ने कहा कि अगर हम देशभर में मुहर्रम पर जुलूस निकालने की इजाज़त देते हैं तो इससे अराजकता हो जाएगी और एक समुदाय को कोविड-19 महामारी फैलाने के लिए ज़िम्मेदार ठहराया जाएगा।

 

सर्वोच्च अदालत में लखनऊ के इमामे जुमा मौलाना सैयद कल्बे जवाद की याचिका पर सुनवाई की जा रही थी, जो देश भर में आशूरा जुलूस निकालने की इजाज़त चाह रहे थे। याचिका पर अदालत की तरफ़ से रथ यात्रा फ़ेस्टिवल की अनुमति का हवाला दिया गया था। चीफ़ जस्टिस ने कहा कि आप पुरी जगन्नाथ यात्रा का संदर्भ दे रहे हैं, जो एक जगह पर और एक रुट पर तय थी। उस केस में हमने ख़तरे का आकलन करने के बाद आदेश दिया था लेकिन आप देशभर के लिए इजाज़त मांग रहे हैं। चीफ़ जस्टिस ने कहा कि अगर आपने एक जगह के लिए इजाज़त मांगी होती तो हम उस ख़तरे का आकलन कर सकते थे। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि राज्य सरकारें भी इस याचिका के पक्ष में नहीं हैं।

इमाम हुसैन (अ) के लिए महात्मा गांधी का नज़रिया!


 मैं अहले हिन्द के सामने कोई नई बात पेश नहीं करता। मैंने करबला के हीरो की ज़िन्दगी का बखूबी मुतालेआ किया है और उससे मुझे यक़ीन हो गया है कि हिन्दोस्तान की अगर नजात हो सकती है तो हमको हुसैनी उसूलों पर अमल करना चाहिये। (हुसैनी दुनिया)

-महात्मा गांधी

-We Are Husaini (Husaini Path)

सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार ताज़िया दफ्न करने की इजाज़त नहीं (लखनऊ पुलिस)



आज दिनांक 28/08/2020 को थाना सआदतगंज  लखनऊ में क्षेत्री पुलिस अधिकारियों से क्षेत्र के सम्मानित लोगों की मीटिंग हुई जिसमें अधिकारियों द्वारा यह अवगत कराया गया की माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जो आदेश आया है उसके अनुसार हम अपने घरों के ताजिए भी दफन करने नहीं ले जा सकते... हमारी लखनऊ के उलेमाओ से गुजारिश है की वह कौम को अपना  बयान इस सिलसिले में जारी करें ओर कौम को आगे  क्या करना है ये बताये.

लईक़ आगा़ 

 पार्षद

 कश्मीरी मोहल्ला वार्ड लखनऊ

 रिपोर्ट : लखनऊ से We are Husaini (Husaini Path) 

Thursday, August 27, 2020

हज़रत अब्बास (अ) अलमदारे कर्बला की जिंदगी पर एक नज़र और उनकी शुजाअत!



 हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने जनाब फ़ातिमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा की शहादत के दस साल बाद जनाबे उम्मुलबनीन अ. से शादी की।हज़रत अली अलैहिस्सलाम और फ़ातिमा बिन्ते हेज़ाम के यहाँ चार बेटे पैदा हुए,जिनमें सबसे बड़े हज़रत अब्बास अलैहिस्सलाम थे।

यही कारण है कि उनकी मां को उम्मुल बनीन यानी बेटों की माँ कहा जाता है।जब जनाबे अब्बास अलैहिस्सलाम का जन्म हुआ तो हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने कानों में अज़ान और इक़ामत कही। आप जनाब अब्बास अलैहिस्सलाम के हाथों को चूमा करते थे और रोया करते थे।

एक दिन जनाब उम्मुल बनीन ने इसका कारण पूछा तो इमाम अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया यह हाथ हुसैन की मदद में काट दिये जाएंगे।जनाब अब्बास न केवल कद में लम्बे और लहीम शहीम थे बल्कि समझ व बुद्धिमानी और ख़ूबसूरती में भी मशहूर थे। उन्हें मालूम था कि वह आशूर के लिए इस दुनिया में आए हैं।

जनाब अब्बास अ. ने बारह और चौदह साल की उम्र में उस समय जब हज़रत अली अलैहिस्लाम, दुश्मनों को खत्म करने में व्यस्त थे, कुछ जंगो में हिस्सा लिया और इसके बावजूद कि उन्हें युद्ध में लड़ने की ज़्यादा अनुमति नहीं मिलती थी फिर भी उसी कमसिनी में कुछ नामी अरब लड़ाकों को परास्त करने में सफल रहे।

सिफ़्फ़ीन में एक दिन हज़रत अली अ. की सेना से एक नकाबदार जवान मैदान में आया। मुआविया की सेना में आतंक की लहर दौड़ गई। हर एक दूसरे से पूछ रहा था कि यह युवा कौन है जो इस बहादुरी के साथ मैदान में आया है? मुआविया का कोई सैनिक मैदान में कदम रखने का साहस नहीं कर पा रहा था। मुआविया ने अपने मशहूर सेनापति इब्ने शअसा को आदेश दिया कि उस जवान से लड़ने जाए। इब्ने शअसा ने कहाः लड़ाई में मुझे दस हजार लोगों का प्रतिद्वंद्वी माना जाता है, फिर क्यों मुझे एक बच्चे के मुक़ाबले में भेज रहे हो? इब्ने शअसा ने अपने बड़े बेटे को जंग के लिए भेजने की पेशकश की जिसे मुआविया ने स्वीकार कर लिया। लेकिन जैसे ही वह मैदान में गया पलक झपकते ही उसका काम तमाम हो गया। इब्ने शअसा ने अपने दूसरे बेटे को भेजा है, वह भी मारा गया, इसी तरह उसके सातों के सातों बेटे नरक चले गये। उसके बाद स्वंय उसने क्रोध में भर कर मैदान में कदम रखा और बहादुर जवान से बोलाः तूने मेरे बेटों को मार डाला, ख़ुदा की क़सम तेरे माँ बाप को तेरा गम पहुँचाउंगा। लेकिन बहुत जल्द वह खुद भी नरक पहुंच गया।

सभी उस बहादुर जवान को ईर्ष्या भरी निगाहों से देख रहे थे। इमाम अलैहिस्सलाम ने उस युवक को अपने पास बुलाया और उसकी नक़ाब उठाई और माथे को चूमा। तब सबकी आंखें खुली की खुली रह गईं, देखा वह कोई और नहीं बल्कि अमीरुल मोमिनीन अलैहिस्सलाम के नामवर बेटे अब्बास अ. हैं।

हज़रत अली अलैहिस्सलाम की शहादत के बाद जनाब अब्बास अलैहिस्सलाम ने अपने भाई इमाम हसन अलैहिस्सलाम की इमामत के सख्त दौर को देखा। जिस समय इमाम हसन अलैहिस्सलाम को जहर देकर शहीद गया आपकी उम्र 24 वर्ष थी। जनाबे अबुल फ़ज़्लिल अब्बास उम्र भर इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के साथ रहे।

हज़रत अब्बास अलैहिस्सलाम कर्बला की ओर हरकत करने वाले इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के कारवान के सेनापति थे। इमाम हुसैन अ. ने कर्बला के मैदान में धैर्य, बहादुरी और वफादारी के वह जौहर दिखाए कि इतिहास में जिसकी मिसाल नहीं मिलती। अब्बास अलमदार ने अमवियों की पेशकश ठुकरा कर मानव इतिहास को वफ़ादारी का पाठ दिया।

आशूर के दिन कर्बला के तपते रेगिस्तान में जब अब्बास अ. से बच्चों के सूखे होठों और नम आँखों को न देखा गया तो सूखी हुई मश्क को उठाया और इमाम अ. से अनुमति लेकर अपने जीवन का सबसे बड़ा इम्तेहान दिया। दुश्मन की सेना को चीरते हुये घाट पर कब्जा किया और मश्क को पानी से भरा लेकिन खुद एक बूंद भी पानी नहीं पिया। इसलिए कि अब्बास अ. की निगाह में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और आपके साथियों के भूखे प्यासे बच्चों की तस्वीर थी। दुश्मन को पता था कि जब तक अब्बास के हाथ सलामत हैं कोई उनका रास्ता नहीं रोक सकता। यही वजह थी कि हज़रत अब्बास के हाथों को निशाना बनाया गया। मश्क की रक्षा में जब अब्बास अलमदार के हाथ अलग हो गए और दुश्मन ने पीछे से हमला किया तो हज़रत अब्बास अ. से घोड़े पर संभला नहीं गया और जमीन पर गिर गये। इमाम हुसैन अ. ने खुद को अपने भाई के पास पहुंचाया।


न्यूज़ीलैंड में 2 मस्जिदों पर आतंकवादी हमला करने वाले को इस देश के इतिहास की सबसे बुरी सज़ा सुनाई गयी


 न्यूज़ीलैंड में पिछले साल 2 मस्जिदों पर आतंकवादी हमला करने वाले आतंकी ब्रेंटन टैरेंट को इस देश के इतिहास की सबसे बुरी सज़ा सुनाई गयी है।

इस आतंकी को बिना पेरोल के उम्र क़ैद की सज़ा सुनायी गयी है, जो न्यूज़ीलैंड की तारीख़ में पहली बार किसी अपराधी को ऐसी सज़ा सुनाई गयी है।

15 मार्च 2019 को क्राइसचर्च में दो मस्जिदों पर हुए आतंकी हमले में 51 नमाज़ी शहीद हुए थे। इस हमले को आतंकी ने फ़ेसबुक पर लाइव दिखाया था। आतंकी ब्रेंटन टैरेंट ने 40 हत्याओं और आतंकवादी अपराध को क़ुबूल किया था।

गुरूवार को क्राइसचर्च के हाई कोर्ट में जज कैमरून मेंडर ने कहा कि ब्रेंटन टैरेंट का अपराध इतना घिनौना है कि इसके लिए मुद्दत का तय करना काफ़ी नहीं होगा। जज ने सज़ा सुनाते हुए ब्रेंटन टैरेंट से कहाः तुम्हारा जुर्म इतना घिनौना है कि अगर मरते दम तक तुम्हे जेल में रखा जाए तब भी सज़ा का तक़ाज़ा पूरा नहीं हो सकेगा।

इस फ़ैसले पर न्यूज़ीलैंड की प्रधान मंत्री जसिंडा अडर्न ने संतोष जताया और कहा कि उसे कभी सूरज की रौशनी नसीब नहीं होगी।

अपराधी टैरेंट ने क़ुबूल किया कि उसने जो हमला किया था वह आतंकवादी हमला था

Islaam Par Hazrat Ali (a.s) Ke Ehsanaat.( Article By : Shabana Naqvi)

 


Islaam par Hazrat Ali Ameerul Momneen a.s ke Ahsanaat ki fehrist itni mukhtsar nhi Hai Hai ki hum use muhktsar majmua _e_halaat me likh sake ..

1== #dawte zul--- asheera ke mouqe par jis jagah rasoole Akram s.a.w.w ko taqreer karne ka mouqa mil RHA Tha .. aap ne aysi juraat wa himmat ka muzahera Kiya ki paigmbre Islam s.a.w.w kaamyaab ho gye aur app ne Islam ka danka bajaya

2==#Shabe Hijrat farshe Rasool s.a.w.w par so Kar Islam ki qismat bedaar Kar di aur jaan jokhim me daal Kar gaar me teen Roz khana pahuchaya

3==#Jange badr me jab ki muslmaan sirf 313 aur kuffaar beshumar thy .. app ne kamale juraat wa himmat see kamyaabi haasil ki
4==#jange ohad me jabki muslmaan sarwre aalam s.a.w.w ko maidaane jang me 6od Kar bhaag Gaye thy is waqt aap hi ne rasoole Akram s.aw.w ki jaan bachayi aur Islam ki ezzat mahfooz Kar li thi

5==#Kuffar Jin ke dilo me inteqaam ki aag bhadk rhi thi Amar ibne abdewud jaise bahadur ko lekar maidaan me aa pahuche aur Islam ko challenge Kar diya .. paigmbre Islam s.a.w.w preshan thy aur muslmaano ko baar baar ubhaar rhe thy ki muqaable ke liye nikle moulaye kaynaat hazrat Ali ibne abi taalib as ke siwa kisi ne bhi himmat n ki ...bill aakhir rasoollaah s.a.w.w ko khna pada ki aaj Ali a.s ki ek zarbat ibadate saqlain see behtar Hai...

6==#Isi tarh khaibar me kaamyaabi haasil karke aap ne islaam par ehsaan farmaaya

7==# mere khayal ke mutabiq hazrat Ali a.s ka islaam par sabse bada ehsaan yeh Tha ki wafaate Rasool s.a.w.w ke baad ruh farsa waaqiyaat was jaan lewa halaat ke ba wajud app nee talwaar nhi uthayi warna Islam manzile awwal par hi khatm ho jata

Allah humma sale ala mohammad wa aale mohammad wa ajjil farajahum.


Article By: Shabana Naqvi

Ammu Ko Sada Di Ke, Chacha Jaan Khabar Lo . (Marsiya Janabe Qasim (as) 7th Muharram


 

Ammu Ko Sada Di Ke, Chacha Jaan Khabar Lo,
Hota Hai Gulam Aap Pa Qurban Khabar Lo,
Dunia Me Koi Dam Ka Hun Mehman Khabar Lo,
Takleef Na Deta Magar Is Aan Khabar Lo,
Ke Zurriyat E Haidar Ki Yeh Tawkeer Hui Hai,
Ke Pamal Humein Karne Ki Tadbeer Hui Hai.

Ada Ko Bhaga Kar Jo Lage Dhoond Ne Sarwar 
Pamal Mile Qasim E Nawshaha Sarasar (A.s.)
Godi Ka Pala Pa Ragad Ta Tha Zameen Par
Rokar Pisare Fatema (S.a.) Ne Peet Liya Sar
Dekha Jo Hasan Ko Tane Sad Pash Se Lipte
Chilla Ke Husain (A.s.) Ibne Ali (A.s.) Lash Se Lipte

Yeh Keh Te The Jo Maut Ki Hich Ki Si Aaie
Moh Khol Ke Hazrat Ko Zaban Khushk Dikhaie
Makhdoom E Alam (S.a.) Ki Yeh Aawaz Sunaie
Mai Sah Re Kausar Hun Tere Waste Laaie
Pee Le Ise Aai Laal Ke Tar Khushk Gala Ho
Dadi Tere Sukhe Hue Hoton Pe Fida Ho


Lab Ban Kiye Qasim (A.s.) E Naushah Ne Ek Bar
Pani Na Piyunga Ke Hai Pyase Shahe Abrar
Dunia Se Safar Kargaya Woh Aainaye Rukhsar
Lash Iske Chale Leke Shah Bekaso Beyar
Dehodi Pe Jo Pohuche Jo Kaha Dekh Ke Sub Ko
Aare Woh Aaie Hai Dulha Tha Banaya Jinhe Shab Ko


Hay Hay Bal Qasim Ka Hua Shor Jo Dar Par
Bano Ne Kaha Lut Gai Logo Meri Dukhtar
Farzand Ke Lashe Lipat Ne Lagi Madar
Sar Peet Ti Daudi Shahe Mazloom Ki Khwar (S.a.) 
Phir Kaun Rahe Binte Ali (A.s.) Jub Nikal Aaie
Khaime Me Dulhan Reh Gai Aur Sub Nikal Aaie


Dehodi Se Jo Khaime Main Sheh Behro Bar Aaye Aaye
Rote Hue Aur Sharm Se Gardan Ko Jhukaie
Agosh Me The Lashaie Nawshah Uthaie
Akbar (A.s.) Bhi The Humrah Padar Ashk Bahaie
Khamosh Anees Ab Nahi Takat Hai Baya Ki
Halat Kahun Kis Muh Se Shahe Kaun Ko Maka Ki.


By: Ashfaq Marchant

Wednesday, August 26, 2020

Muhabbat-e-Ahlebait (Article By : Sayed Haider)

  Imam Jafar Sadiq (as) 


Jab Tumahre Dil Mein Hamari Muhabbat ki thandak Mahsoos Ho to Apni Maa ko Dua Do khuda ki Qasam ..Tumahare Maa ki Nejat ke Liye yahi kafi Hai ki Usne Tumhe Hamari Muhabbat Mein Parwan chadhaya.. 

                                

Allah humma swalle Ala Mohammad wa Alay Mohammad wa Ajjil farajahum

 

 Article By : Sayed Haider (Jaunpur) 


Tuesday, August 25, 2020

Fazail-e-Ali as (By: Urooj Zehra)

 💕HAZRAT ALI (a.s)


Mai wo (Ali as) Hoon Jiski Baatein Aqlo'n ko
Hairaan Aur Zehno ko Pareshaan karti.
Hain,
Aye Logo'n Maine Aaj Tak Apni Haqiqat ko
Tum Per Aashkaar Nhi kiya Agar Mai Apni
Haqiqat Aur Fazilat se Duniya Walo'n ko
Aagah kar Doo'n To Aadhi Duniya Meri
Fazilat ki Bulandi Sun kar Mar Jaaye Aur
Baaqi Deewaani Ho Jaye Mai'n Sirf Itne Fazail
Se Parda Uthata Hoo'n Jin ko Haqeeqi Momin
Bardasht kar Sake'n.

Reference- khutba e siffeen

Posted by : Urooj Zehra (Rampur)

Monday, August 24, 2020

Sahma Hua tha Sham ka Lashkar Furat Par. (Kalaam By: Narjis Fatima Abidi)

 Chullu Me Pani Bhar_kr Jo Phe'nka Furat  Par                                                                                       Dekha tha Aisa Na Kabhi Manzar Furat Par                                                                                                   

  Nazro'n Me Phir Gya tha Sakina (sa) ka Jo Chehra                                                                         Aa'nkho'n Me Bhar Gya tha Samandar Furat Par

  Maujo'n Ne Choome Jhoom ke Ghazi ke Jo Qadam                                                                            Ghabra Gya Ye Dekh Ke Lashkar Furat Par                                                                                                       

  Hamla tha Aisa Jaise ke khaibar ka Ho Manzar                                                                                      Dunya ye Samjhi aa Gye Haidar (as) Furat Par                                                                                                

   Bazu kate the Phir Bhi Na thi Josh Me Kami                                                                                        Sahma Hua tha Sham ka Lashkar Furat Par.

 

Shayra : Narjis Fatima Abidi (Lucknow)

                                                                                                                                                                              

                                                                                                                                          

Beemar Ko Abbas (As) Ke Parcham Ki Hawa Do. (Kalaam By : Nusrat Husain)

 Ab Ghar me Saf-e-Matam-e-Shabbeer Bichha Do,                                                                                 Paigham Zamane ko Shah-e-Dee'n Ka Suna Do,

Islam ke Dushman ko Jalane ke Liye Tum
Matam ki Sadao'n Se Zamane ko Hila Do,

                                                                                                                                                                          Ghar Apna Aza khana-e-Shabber Banakar
Soyi Hui Taqdeer ko Tum Apni Jaga Do,

                                                                                                                                                                             Jannat Se Chali Aaengi Khud Fatima Zahra
 Tum Frshe Aza Apne Makano Me Bichha Do

                                                                                                                                                                              


Is Dar Pa Wabao'n Se Shifa Milti Hai #Nusrat
Beemar ko Abbas (As) ke Parcham Ki Hawa Ho.



Shayra : Nusrat Husain (Patna)